यूपी में गन्ने की कीमत बड़ा फैक्टर, चुनावी साल में दाम बढ़ने की उम्मीद, किसानों से लेकर मिल तक का हाल समझिए

UP Sugarcane Farmers: यूपी के गन्ना ​किसानों के साथ ही शुगर मिल भी कीमत को लेकर चिंतित हैं। किसानों को उम्मीद है कि इस साल होने वाले चुनाव से पहले उन्हें गन्ने की कीमत को लेकर खुशखबरी मिल जाएगी। शुगर मिल से लेकर किसानों तक की समस्याओं का अहम पहलू जानते हैं।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी तक 2023-24 सत्र के लिए गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (SAP) घोषित नहीं किया है। इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर किसानों के साथ ही चीनी मिल भी कीमत को लेकर चिंतित हैं। किसानों को उम्मीद है कि अप्रैल-मई में होने वाले चुनाव से पहले उन्हें गन्ने की कीमत को लेकर खुशखबरी मिल जाएगी। गन्ना उत्पादक किसानों से लेकर शुगर मिल तक क्या है हाल, हर पहलू समझते हैं।

सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

इंडियन एक्सप्रेस अखबार से बातचीत में राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजन सरदार वी एम सिंह ने बताया कि गन्ने की पेराई का सत्र अक्टूबर से शुरू हो जाता है। लेकिन अब जनवरी का महीना आ गया और किसानों को यह ही नहीं पता है कि उन्हें वर्तमान सत्र के लिए गन्ने की क्या कीमत मिल रही है? इस बार गन्नों में रोग लगने की वजह से पैदावार पर भी असर पड़ा है।

बीते 7 साल में 35 रुपये बढ़े दाम!
किसान संगठन गन्ने की SAP को बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं। आखिरी बार 2021-22 में गन्ने की जनरल वेराइटी के लिए 340 रुपये प्रति क्विंटल और अर्ली वेराइटी के लिए 350 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया था। 2016-17 के सत्र में योगी सरकार के यूपी की सत्ता में आने के बाद से गन्ने की कीमत में प्रति क्विंटल के हिसाब से 35 रुपये की बढ़ोत्तरी हुई है। पहले के 305-315 से बढ़कर अब 340-350 रुपये प्रति क्विंटल कीमत हो गई है।

किस सरकार में कितनी बढ़ी कीमत?
अगर सपा और बसपा शासनकाल की पिछली सरकारों पर नजर डालें तो अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में गन्ने की कीमत में 65 रुपये प्रति क्विंटल (2011-12 में 240-250 से लेकर 2016-17 में 305-315 तक) और मायावती के शासन में 125-130 रुपये प्रति क्विंटल (2006-07 में 125-130 से लेकर 2011-12 में 240-250 तक) की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई थी। यह दोनों सरकारें 5 साल के लिए थीं, जबकि योगी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार दूसरी बार सत्ता में आई है।

सरदार वीएम सिंह का कहना है कि किसानों को आज की तारीख में गन्ने की कटाई के लिए प्रति कुंतल के हिसाब से 45-50 रुपए लेबर चार्ज देना पड़ रहा है, जबकि 2 साल पहले 30 से 35 तक का दाम था। इसके साथ ही खाद, बीज, कीटनाशक का दाम भी काफी बढ़ा है। वहीं गन्ने की सीओ-0238 वैरायटी के रेड रोट बीमारी होने की वजह से प्रति एकड़ फसल भी काफी कम हो गई है।

शुगर मिल की दिक्कत भी समझिए
हालांकि यह दिक्कत केवल किसानों की अकेले की ही नहीं है। उत्तर प्रदेश के शुगर मिल भी गन्ने की SAP घोषित करने में हो रही देरी को लेकर चिंतित हैं। इसकी वजह यह है कि गाने से गुड़ और खंडसारी जैसे विकल्प तैयार करने वाले प्रति क्विंटल के हिसाब से 20 से 50 रुपये तक अधिक कीमत अदा कर रहे हैं। ऐसे व्यापारी अधिक दाम दे रहे हैं और तुरंत ही कैश में दे दे रहे हैं। वहीं सरकार हमारे इनपुट यानी गन्ना और आउटपुट यानी चीनी सभी का दाम मॉनिटर करती है।

नैशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्री लिमिटेड ने देश की शुगर आउटपुट 2023-24 में (दिसंबर तक) 112.10 लाख टन तक होने का अनुमान लगाया है। यह पिछले सत्र में 121.35 लाख टन से 7.6 प्रतिशत तक कम है। हालांकि उत्तर प्रदेश में उत्पादन महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे राज्यों के मुकाबले बेहतर हुई है।

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