बीजिंग: नेपाल और चीन ने बुधवार को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) सहयोग के ढांचे पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों देशों के विदेश सचिवों ने बुधवार सुबह ढांचे पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे पहले चीन ने नेपाल के भेजे गए मसौदे से अनुदान शब्द हटा दिया था। इस कारण इस मसौदे पर मंगलवार को हस्ताक्षर नहीं हो सके थे। नेपाल ने शुक्रवार शाम एक मसौदा भेजा था, जिसमें प्रस्ताव दिया गया था कि चीन नेपाल सरकार द्वारा आगे बढ़ाई जाने वाली परियोजनाओं पर अनुदान निवेश प्राप्त करेगा। दोनों देशों ने अब अनुदान निवेश के स्थान पर सहायता निवेश, जिसमें अनुदान और ऋण निवेश दोनों शामिल हैं, को ध्यान में रखते हुए ढांचे पर हस्ताक्षर किए हैं।
ओली ने बीआरआई पर लगाई मुहर
नेपाल के प्रधानमंत्री और सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली और नेपाली कांग्रेस (एनसी) के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने पहले बीआरआई सहयोग पर ढांचे के मसौदे को मंजूरी दी थी जिसमें कहा गया था कि नेपाल केवल चीनी अनुदान स्वीकार करेगा। नेपाल ने 2017 में BRI पर एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए थे। उसके बाद नेपाल और चीन द्वारा BRI कार्यान्वयन योजना पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद थी, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ था।
ओली ने टास्कफोर्स की सलाह को दरकिनार किया
पीएम ओली की चीन यात्रा को अंतिम रूप दिए जाने के बाद, BRI कार्यान्वयन योजना के तौर-तरीकों पर चर्चा करने के लिए एक टास्कफोर्स का गठन किया गया था। टास्कफोर्स में प्रधानमंत्री के मुख्य सलाहकार बिष्णु रिमल, आर्थिक और विकास सलाहकार युबा राज खातीवाड़ा, नेपाली कांग्रेस महासचिव गगन थापा और अधिवक्ता सेमांता दहल शामिल थे। टास्कफोर्स ने कार्यान्वयन योजना में बदलाव किए और इसका नाम बदलकर BRI सहयोग पर फ्रेमवर्क कर दिया। पीएम ओली की यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने 12-सूत्रीय संयुक्त वक्तव्य भी जारी किया।
नेपाल में भारत की बढ़ेगी टेंशन
नेपाल के बीआरआई मसौदे पर हस्ताक्षर करते ही भारत की टेंशन बढ़ गई है। इस मसौदे में नेपाल की चिंताओं के बावजूद अनुदान और और ऋण दोनों को शामिल किया गया है। ऐसे में डर है कि नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टियां चीन को खुश करने के लिए कर्ज लेकर देश का बेड़ा गर्क कर सकती हैं। इससे नेपाल के चीन के कर्ज के जाल में फंसने की आशंका बढ़ जाएगी। अगर ऐसा होता है तो नेपाल की नीतियों में चीनी दखल भी बढ़ेगा जो भारत के लिए अच्छा नहीं होगा। नेपाल हिमालयी देश है, जो भारत और चीन के बीच स्थित है।