पटना: तो उत्तर प्रदेश की तर्ज पर बिहार में भी भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने अपराधियों को फूटी आंख भी न देख पाने वाले व्यक्तित्व के मालिक डॉ दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बना कर अपनी रणनीति साफ कर दी है। कहा तो जा रहा है कि भाजपा एक और चुनावी नैरेटिव सेट करने की तैयारी में है कि केवल जातीय समीकरण से नहीं बल्कि अच्छी कानून-व्यवस्था के पक्षधर दिलीप जायसवाल के जरिए सीमांचल साध कर अगले विधानसभा चुनाव की वैतरणी पार की जाए। सख्त और साफ-साफ बात करने वाले दिलीप जायसवाल को बिहार बीजेपी की कमान सौंपी गई है।
अपराध विरोधी बयान से चर्चा में आए जायसवाल
पिछले दिनों एक बयान को लेकर दिलीप जायसवाल चर्चा में आए थे। ये बयान उन्होंने बतौर भूमि सुधार और राजस्व मंत्री दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि बिहार कैबिनेट में फैसला हुआ है कि जो अपराधी अवैध बंदूक-गोली लेकर सड़क पर चलेगा, उसे सीधे गोली मार दी जाएगी। अपराधी अब नहीं बच पाएगा। बिना नाम लिए बीमा भारती और अवधेश मंडल पर तंज कसते हुए दिलीप जायसवाल ने कहा था कि अब रुपौली में गोली-बंदूक वालों का नहीं चलेगा। यहां गरीबों का राज होगा। इसलिए गरीब जनता को डरने की जरूरत नहीं है। साथ ही राज्य के हर जिले में बिहार पुलिस की एसआईटी टीमों का गठन किया जाएगा, जो अपराधियों पर नियंत्रण रखेगी।
बिहार के सीमांचल इलाके पर बीजेपी की नजर
सीमांचल की राजनीति में वर्तमान राजस्व और भूमि सुधार मंत्री डॉ दिलीप जायसवाल की पकड़ मजबूत है। भाजपा जिन बिंदुओं का समाधान के साथ अपनी पैठ सीमांचल में बनाना चाहती है उसके अनुभवी राजनीतिक खिलाड़ी जायसवाल माने जाते हैं।
- एनआरसी की समस्या पर फोकस
- धर्मांतरण पर अंकुश
- जनसांख्यिकी असंतुलन का समाधान
- तुष्टिकरण की नीति का जवाब कठोर दृष्टि और कठोर भाव से
- अवैध व्यापार पर अंकुश
- जमीन कब्जे के बढ़ते मामले
- घुसपैठ की समस्या
केवल जातीय नहीं, सीमांचल पर नजर: अश्क
डॉ दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बना कर भाजपा ने केवल नाराज वैश्य को ही नहीं साधा है बल्कि सीमांचल पर पकड़ मजबूत करने की जुगत भी लगाई है। एक तरफ जिस तरह से लालू यादव ने वैश्य को तरजीह देकर भाजपा के कोर वोट में सेंधमारी की, उसके बचाव के साथ सीमांचल में हिंदुत्व की लहर में जान फूंकने की कवायद है। दरअसल, डॉ दिलीप जायसवाल सीमांचल की राजनीति के चितेरे हैं। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इनके द्वारा मुद्दा आधारित आंदोलन चलाकर धर्मांतरण और घुसपैठ जैसे समस्या से सीमांचल को मुक्त कराना भी चाहती है।
लेखक के बारे में
पत्रकारिता की शुरुआत 1988 से बतौर फ्री लांसर नवभारत टाइम्स और दैनिक हिंदुस्तान के साथ की। विधिवत 1996 में हस्तक्षेप, राष्ट्रीय सहारा नोएडा से शुरू किया। 2012 में विशेष संवाददाता बना। 2020 में राष्ट्रीय सहारा पटना का स्थानीय संपादक, 2022 में सलाहकार संपादक राष्ट्रीय सहारा। और अब सितंबर 2022 से नवभारत टाइम्स ऑन लाइन में संपादकीय सलाहकार। कविता की दो पुस्तक ‘ऊसर में नवान्न’ व ‘गोयता थापती लड़की’। कला साहित्य व संस्कृति के समीक्षात्मक पहलू को समेटे तीसरी पुस्तक दूसरा पक्ष।… और पढ़ें