दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस के रुख का भारत ने किया समर्थन तो तिलमिलाया चीन, जानें क्या कह रहा ड्रैगन

भारत के साथ सीमा विवाद के बीच चीन को एक बार फिर मिर्ची लगी है। भारत ने दक्षिण चीन सागर मामले में फिलीपींस की समप्रभुता का समर्थन किया है। इस पर ड्रैगन का कहना है कि यह दो देशों के बीच का मसला है। इसमें किसी तीसरे देश को दखल नहीं देना चाहिए।

हाइलाइट्स

  • भारत ने फिलीपींस की संप्रभुता को लेकर दिया समर्थन
  • चीन ने कहा कि मेरीटाइम विवाद दो देशों के बीच का मसला
  • ड्रैगन ने तीसरे पक्ष के दखल की गुंजाइश से किया इनकार

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नई दिल्ली : पहले अरुणाचल प्रदेश और अब दक्षिण चीन महासागर पर फिलीपींस के साथ का मामला, भारत और चीन के बीच जुबानी जंग का सिलसिला खत्म नहीं हो रहा है । ताजा घटना में चीन ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें चीन के साथ दक्षिण चीन सागर में विवाद के बीच उन्होंने कहा कि भारत फिलीपीन का उसकी राष्ट्रीय संप्रभुता बनाए रखने को लेकर दृढ़ तरीके से समर्थन करता है। जयशंकर ने मनीला में प्रेस कॉन्फ्रेंस में फिलीपीन- चीन विवाद से जुड़े एक सवाल के जवाब में ऐसा कहा।

चीन को कैसे लगी मिर्ची

इसके बाद बीजिंग में प्रेस वार्ता के दौरान चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जिआन ने कहा कि मैरीटाइम विवाद दो संबंधित देशों के बीच के मामले होते हैं और इसमें किसी तीसरे पक्ष का दखल नहीं हो सकता । इसके अलावा चीन ने ये भी कहा कि भारत इस मसले पर चीन के दावे की संप्रभुता का सम्मान करे। लिन ने कहा कि कि ” हम संबंधित पक्षों से कहेंगे कि वो दक्षिण चीन सागर पर तथ्यों का सामना करें, चीन की मैरीटाइम संप्रभुता और हितों का सम्मान करें और इसके साथ साथ साथ क्षेत्रीय देशों की उन कोशिशों का भी सम्मान किया जाए जो कि इस इलाके में शांति और स्थिरता कायम करने की कोशिशों में लगे हैं।

फिलीपींस के साथ सहयोग

दरअसल विदेश मंत्री जयशंकर इन दिनों एक राजकीय दौरे में मनीला में हैं और इस दौरान मंगलवार को उन्होंने विदेश मंत्री एनरिक मनालो के साथ एक ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये टिप्पणियां कीं। इसे लेकर उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में ये भी बताया कि दोनों पक्षों के बीच इंडो पैसिफिक, आसियान, वेस्ट एशिया, यूक्रेन मामला, गुटनिरपेक्ष आंदोलन समेत कई क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर विचार साझा किए गए। जयशंकर ने ये भी कहा कि कि बदलती दुनिया के साथ यह जरूरी है कि भारत और फिलीपींस उभरती दुनिया को आकार देने में ज्यादा नजदीकी से सहयोग करें। विदेश मंत्री ने एक सवाल पर कहा कि हर देश को अपनी राष्ट्रीय संप्रभुत्ता को बनाए रखने का अधिकार है। दरअसल चीन पूरे साउथ चाइना सी पर अपना हक जमाता है। जबकि फिलीपीन ,वियतनाम, ब्रुनेई और ताइवान के भी इसे लेकर अपने अपने दावे हैं।

चीन-फिलीपींस में मैरिटाइम विवाद

मौजूदा समय में चीन और फिलीपीन के बीच इसको लेकर एक तीखा मैरीटाइम विवाद है। फिलीपींस दक्षिण चीन सागर में ड्रैगन की ओर से फिलीपींस के जहाजों को उसके सैनिकों तक सामान की सप्लाई करने से रोकने के आरोप लगाता रहा है। दोनों देशों की इस बातचीत में-विदेश मंत्री मनालो ने ये भी कहा कि कि भारत और फिलीपीन की मुक्त, खुले और समावेशी इंडो पैसिफिक में गहरी रूचि है, और इसे लेकर दोनों रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर बात कर कर रहे हैं। वहीं जयशंकर ने कहा समुद्री सुरक्षा कि हर किसी के हित में है और हमारे मामले में ये दूसरे देशों से कहीं ज्यादा है। उन्होंने लाल सागर और अरब सागर में मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय नौसेना की तैनाती के बारे में भी मनालो को जानकारी दी।

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